बुधवार, 25 मार्च 2009

आज का इन्सान

आज का इन्सान इंतना कपटी हो गया
प्यार जाने इसका कहाँ पर खो गया
कितना बुरा है वक्त ये आया
भाई ने भाई को सताया
यारी के है नाम पे धोखा
देते हैं भगवान को धोखा
धर्म के नाम से लूट मचाते
अपने को हैं ज्ञानी बताते
अपनी पूजा जग में करावें
ईश्वर को हैं निम्न बतावें
होश में आओ जग वालो
ईश्वर में तुम ध्यान लगालो
भटको ना सत्मार्ग से प्यारो
प्रभु छवि को ख़ुद में निहारो
जो नारी घर से बाहर जा कर
गुरु का है वो नाम बताकर
उसके चरणों में गिर जावे
अपने पति का वो मान घटावे
बच कर रहना धर्म के ठेकेदारों से
राम का कहना है अपने प्यारों से
धर्म को बनाया है व्यापार इन्सान ने
कैसी चली है चाल आज के इन्सान ने
अंध विश्वासी बनी है दुनिया
गुरु का नाम लिए है दुल्हनिया
सास ससुर को भूखा मारे
उनको पल पल में दुत्कारे
गुरु को है वो मेवा खिलावे
उसके चरणों में फूल चढावे
काला धंधा चले धर्म की आड़ में
धर्म को करें बदनाम कर्म की आड़ में
भाई बहन का निर्मल नाता
कौन है जो इसको झुठलाता
मात पिता सा गुरु ना कोई
इनका जग में सानी ना कोई
ईश्वर में जो ध्यान लगावे
वो कंकर मानिक बन जावे
कल युग के जो हैं जोगी
जोगी नही हैं हैं भोगी
इनको सबक सिखाना होगा
जड़ से पाप मिटाना
आज का इन्सान इतना कपटी हो गया ,प्यार ना जाने इसका कहाँ पर खो गया


चरण सेवक :
आर के पांचाल, रोहिणी ,दिल्ली {भारत }
9212943010

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