आज का इन्सान इंतना कपटी हो गया ।
प्यार न जाने इसका कहाँ पर खो गया ॥
कितना बुरा है वक्त ये आया ।
भाई ने भाई को सताया ॥
यारी के है नाम पे धोखा ।
देते हैं भगवान को धोखा ॥
धर्म के नाम से लूट मचाते ।
अपने को हैं ज्ञानी बताते ॥
अपनी पूजा जग में करावें ।
ईश्वर को हैं निम्न बतावें ॥
होश में आओ ए जग वालो ।
ईश्वर में तुम ध्यान लगालो ॥
भटको ना सत्मार्ग से प्यारो ।
प्रभु छवि को ख़ुद में निहारो ॥
जो नारी घर से बाहर जा कर।
गुरु का है वो नाम बताकर ॥
उसके चरणों में गिर जावे ।
अपने पति का वो मान घटावे॥
बच कर रहना धर्म के ठेकेदारों से ।
राम का कहना है ए अपने प्यारों से ॥
धर्म को बनाया है व्यापार इन्सान ने ।
कैसी चली है चाल आज के इन्सान ने ॥
अंध विश्वासी बनी है दुनिया ।
गुरु का नाम लिए है दुल्हनिया ॥
सास ससुर को भूखा मारे ।
उनको पल पल में दुत्कारे ॥
गुरु को है वो मेवा खिलावे ।
उसके चरणों में फूल चढावे ॥
काला धंधा चले धर्म की आड़ में ।
धर्म को करें बदनाम कर्म की आड़ में ॥
भाई बहन का निर्मल नाता ।
कौन है जो इसको झुठलाता ॥
मात पिता सा गुरु ना कोई ।
इनका जग में सानी ना कोई ॥
ईश्वर में जो ध्यान लगावे ।
वो कंकर मानिक बन जावे ॥
कल युग के जो हैं ए जोगी ।
जोगी नही हैं ए हैं भोगी ॥
इनको सबक सिखाना होगा ।
जड़ से पाप मिटाना ॥
आज का इन्सान इतना कपटी हो गया ,प्यार ना जाने इसका कहाँ पर खो गया ॥
चरण सेवक :
आर के पांचाल, रोहिणी ,दिल्ली {भारत }
9212943010
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